राजकीय संग्रहालय की होगी कायापलट, 5 करोड़ रुपये से होगा जीर्णोद्धार और उन्नयन
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के निरंतर प्रयासों से अजमेर स्थित राजकीय संग्रहालय के कायाकल्प का मार्ग प्रशस्त हुआ है। अजमेर की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और संवद्र्धन के उद्देश्य से वर्ष 2025-26 के बजट में इस ऎतिहासिक संग्रहालय के जीर्णाद्धार, संरक्षण एवं समग्र उन्नयन के लिए 5 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। यह कार्य पुरातत्व एवं संग्राहलय विभाग द्वारा निष्पादित किया जाएगा।
वित्त विभाग ने इस संबंध में स्वीकृति जारी की हैं। उन्नयन एवं जीर्णाद्धार का उद्देश्य संग्रहालय को केवल एक प्रदर्शनी स्थल न रखकर, उसे एक जीवंत और समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव केंद्र के रूप में विकसित करना है। जहाँ पर्यटक राजस्थान की कला, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत से गहराई से जुड़ सकें। प्रस्तावित कार्यों के अंतर्गत संग्रहालय की मूल संरचना के संरक्षण के साथ-साथ उसे आधुनिक सुविधाओं से भी सुसज्जित किया जाएगा।
राज्य पुरात्तव विभाग के वृत अधीक्षक नीरज त्रिपाठी के अनुसार संग्रहालय के भवन की छत, फर्श और दीवारों पर पारंपरिक अराइश एवं प्लास्टर, जलरोधीकरण और सजावटी ज्यामितीय पैटर्न के साथ नवीनीकरण किया जाएगा। लकड़ी के दरवाजों और खिड़कियों को पारंपरिक नक्काशी से सजाया जाएगा। इसमें मजबूत ग्लास और धातु की कलात्मक सज्जा सम्मिलित होगी।
उन्होंने बताया कि परिसर में पर्यावरणीय सौंदर्य को निखारने के लिए हैरिटेज डिज़ाइन वाले बगीचों, एम्फीथिएटर, कलात्मक पौधों और पारंपरिक फव्वारों का निर्माण प्रस्तावित है। जलवायु नियंत्रण के साथ ही उन्नत प्लंबिग और ड्रेनेज सिस्टम के कार्य भी किए जाएंगे। आगंतुकों की सुविधा के लिए आधुनिक आरओ युक्त पेयजल के साथ नवीनीकृत शौचालय तथा बैठने के लिए पारंपरिक पत्थर की बेंचें भी लगाई जाएंगी।
उन्होंने बताया कि संग्रहालय में विभिन्न दीर्घाओं का निर्माण किया जाएगा। इसमें राष्ट्र के गौरव वीर एवं क्रांतिकारी नायकों से जुड़ी दीर्घा, ऎतिहासिक घटनाओं पर आधारित प्रदर्शनी और सिंधु दर्शन दीर्घा विशेष आकर्षण होंगी। इन दीर्घाओं को इस प्रकार डिजाइन किया जाएगा कि आगंतुक आरामदायक और ज्ञानवर्धक अनुभव प्राप्त कर सकें।
उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी इकाइयों को एल्यूमिनियम, पत्थर और जलरोधी लकड़ी से निर्मित किया जाएगा तथा अंदरूनी सज्जा को ऎतिहासिक भित्ति चित्रें, स्टोन जाली और सोने की पत्तियों से चित्रकारी से समृद्ध किया जाएगा। प्रवेश द्वार को मेलामाइन पॉलिश लकड़ी के भव्य फाटकों से सजाया जाएगा और संग्रहालय की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे, मेटल डिटेक्टर और निगरानी प्रणाली लगाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि संग्रहालय के भीतर डिजिटल पुस्तकालय, मल्टीमीडिया स्क्रीन, विरासत शैली का फर्नीचर, डिजिटल पुस्तक संग्रह और बुकबाइंडिंग सुविधाओं सहित सांस्कृतिक और डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी। इसके अतिरिक्त, ऑडियो-विजुअल रूम में इमर्सिव एवी अनुभव के लिए मल्टीमीडिया एकीकरण किया जाएगा। इससे राजस्थान की कहानियों को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जा सकेगा ।
उन्होंने बताया कि हस्तकला और पारंपरिक शिल्पों को बढ़ावा देने के लिए कार्यशालाओं के आयोजन के लिए विशेष स्थान निर्धारित किए जाएंगे। संग्रहालय की रोशनी व्यवस्था में दीवारों, छतों और डेकोरेटिव पोल लाइट्स का समावेश कर दृश्य सौंदर्य को भी संवारा जाएगा।
उन्होंने बताया कि सूचनात्मक साइनेज, प्रदर्शनी लेबल और रिसेप्शन व लॉबी क्षेत्र के लिए परिष्कृत पारंपरिक फर्नीचर की व्यवस्था की जाएगी। ओपन-एयर थिएटर का पुनःडिज़ाइन कर उसमें हेरिटेज स्टोन सीटिंग और मूर्तिकला पृष्ठभूमि के साथ मंच तैयार किया जाएगा। साथ ही इस समग्र कायाकल्प को दीर्घकालिक रूप में प्रभावी बनाए रखने के लिए दो वर्षों की संरचित रखरखाव योजना भी तैयार की गई है।
वासुदेव देवनानी ने इस ऎतिहासिक पहल को अजमेर सहित पूरे राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त बनाने के निर्देश दिए है। यह संग्रहालय अब केवल देखने का स्थान नहीं रहेगा, यह अनुभव, शिक्षा और गौरव का केन्द्र बनकर उभरेगा। जहाँ इतिहास, संस्कृति और आधुनिकता का सुंदर संगम देखने को मिलेगा।
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