अजमेर (अजमेर मुस्कान) । जिले में फसलों पर कीटों के दुष्प्रभाव तथा बीमारियों का सर्वे कृषि विभ्ज्ञाग द्वारा किया गया। इससे किसान फसलों को रोगमुक्त करके लाभान्वित हो सकेंगे।
कृषि विभाग के उप निदशक वी.के. शर्मा ने बताया कि फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी करने हेतु आवश्यक है कि फसलों में कीडे बीमारियों का प्रकोप नहीं हो अथवा प्रकोप होने की स्थिति में उनका समय पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक है। मौसम के अनुकुल परिस्थितियां होने पर फसलों में अनेक प्रकार के कीट व्याधियों के प्रकोप की संभावना होती है। यदि समय पर नियंत्रण के उपाय नहीं अपनाये जाये तो उत्पादन में भारी कमी हो सकती है। इस हेतु कृषि विभाग द्वारा रेपिड रोविंग सर्वे के माध्यम से कृषकों को कीट प्रकोप की सघनता की जानकारी एवं समय पर नियंत्रण के उपायों की जानकारी उपलब्ध करायी जाती है। जिससे उत्पादन में होने वाली कमी से बचाया जा सके।
उन्होंने बताया कि जिले की रेपिड रोविंग सर्वे टीम डॉ एस.के. शर्मा प्रो. कीट विज्ञान, कृषि विज्ञान केन्द्र तबीजी, श्री जितेन्द्र शर्मा कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौ. व्याधि), श्री दिनेश स्वामी कृषि सहायक अनुसंधान अधिकारी (कीट विज्ञान), श्रीमती सपना जैन कृषि अधिकारी (पौ.सं.) अजमेर, डॉ पुष्पाकंवर कृषि अधिकारी (पौ.सं.) केकडी द्वारा केकडी अजगरा, लल्लाई, हिगोनिया, स्यार, जूनिया, सरवाड, टाटोटी व बादंनवाडा आदि क्षैत्रों का सर्वे किया गया।
उन्होंने बताया कि सर्वे क दौरान खरीफ दलहन व तिलहन में पीतशिरा मोजेक (वायरस) रोग का प्रकोप देखा गया है। यह विषाणु जनित रोग है। रोग का विषाणु सफेद मक्खी द्वारा फेलता है। इस रोग के कारण पत्तियों में चितकबरा पीलापन हो जाता है। रोग की उग्रता में सभी पत्तीयां चितकबरी पीली हो जाती है। पौधे में फलियां बहुत कम बनती है। जिन खेतों में इस रोग के लक्षण दिखाई दें, इसके नियंत्रण के लिए डायमिथोएट 30 ई.सी. का एक लीटर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें या नीम का तेल 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें आवश्यकता हो तो 15 दिन के अन्तर पर फिर छिड़काव करें। कृषक दवा खरीदते समय दुकानदार से पक्का बिल अवश्य प्राप्त करें। यदि कोई विके्रता बिल देने में आना-कानी करे तों कृषि विभाग अजमेर के दूरभाष नम्बर 0145-2641990 पर अवगत कराया जावें।
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षणों के माध्यम से कृषकों को कीटनाशी दवा छिडकाव के तरीके एवं सावधानियों की जानकारी प्रदान की जाती हैं। कृषकों से आवहन किया जाता है कि प्रत्येक गुरूवार को किसान सेवा केन्द्र पर जाकर कृषि पर्यवेक्षक से तकनीकी बिन्दुओं पर जानकारी प्राप्त करें। कृषक बिना पौध संरक्षण उपकरणों के दवा का छिडकाव नहीं करें। उपयोग के दौरान मुंह को कपडे या मास्क से ढके, दस्ताने, चश्मा, जूते पहने, खाना-पीना व धूम्रपान नहीं करें, छिडकाव हवा की दिशा में ही करे ताकि रसायन शरीर पर न गिरें।
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा पौध संरक्षण उपकरणों पर हस्तचलित स्पे्रयर पर अधिकतम रू. 600 रूपये, बेट्रीचलित स्पे्रयर पर अधिकतम रू. 2500 रूपये का अनुदान देय हैं। कृषक हस्त व बैट्रीचलित स्पे्रयर पर अनुदान प्राप्त करने हेतु नजदीकी कृषि पर्यवेक्षक से सम्पर्क कर ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं।
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