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भारत भू का प्रथम जौहर - सिंध का हिंद के सम्मान में सर्वस्व समर्पण वीरांगना लाडी बाई

भारत भू का प्रथम जौहर - सिंध का हिंद के सम्मान में सर्वस्व समर्पण वीरांगना लाडी बाई

महाराजा दाहरसेन व वीरांगना लाडी बाई हमारे पुरखे थे : लखावत

रविवार 24 अगस्त को होगा मुख्य समारोह

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। सिंधुपति महाराजा दाहरसेन की 1356वीं जयंती पर सात दिवसीय कार्यक्रम के तहत सिन्ध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान द्वारा आनलाइन संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका विषय भारत भू का प्रथम जौहर - सिंध का हिंद के सम्मान में सर्वस्व समर्पण पर राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ. अरविन्द पारीक, भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी सहित सिन्ध साहित्य व शोध संस्थान के अध्यक्ष कवंल प्रकाश किशनानी ने विचार प्रकट किये।

लखावत ने कहा कि महाराजा दाहरसेन हिन्दुस्तान के रक्षक थे, राष्ट्र के रक्षक थे वह

हमारे पुरखे है ऐसा इतिहास में कम देखने को मिलता है कि पूरा परिवार राष्ट्र रक्षा में बलिदान हुआ हो। उनकी पत्नि वीरांगना लाडी बाई सम्पूर्ण हिन्दुस्तान के लिये प्रेरणास्त्रोत है और हम सबके लिये मातृतुल्य है। कोई हमारी अस्मिता पर कुदुष्टि ना डाले पहला इसलिये वीरांगना लाडी बाई ने जौहर किया। अपनी अस्मिता व मातृत्व के लिये वीरांगना व ऐसे योदा हमारे लिये पूज्यनीय व आदर्श हैं ।

डॉ. पारीक ने कहा कि विदेशों से आंक्राताओं के हमलों से बचने व देश की रक्षा के लिये ऐसे राजा व वीरांगनाओं ने अपने प्राण न्योछावर किये। समय समय पर आये आक्रमाकाणियों से बचने के लिये यह संघर्ष हुआ। खलीफा के क्रूर आक्रमण को महाराजा दाहरसेन व वीरांगना लाडी बाई ने संघष करते हुये जोहर किया। उनकी पुत्रियों ने खलीफाओं से परिवार के बलिदान का बदला लिया।

तीर्थाणी ने कहा कि भारतीय सिन्धू सभा की ओर से मातृशक्ति ईकाई द्वारा देश भर में ऐसे वीर बलिदानियों व वीरांगनाओं के प्रेरणा प्रसंग युवा पीढी तक पहुचानें के लिये निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं। महाराजा दाहरसेन स्मारक महापुरूषों के जीवन व राष्ट्र भक्ति का प्रेरणा केन्द्र है वहीं भक्ति व शक्ति का केन्द्र है। सिन्ध साहित्य शोध व साहित्य संस्थान व विश्वविद्यालय की ओर से विद्यार्थियों के लिये इतिहास से रूबरू हाने का केन्द्र है।

किशनानी ने कहा कि शोध के लिये केन्द्रों द्वारा इतिहास को जन जन तक पहुचाने के लिये रिसर्च सेन्टरों का निर्माण होना चाहिये जिससे महारानी लाडीबाई जैसी वीरांगना का इतिहास महिलाओं के शौर्य की गाथा बने।

सूर्यकुमारी व परमल बॉल बैडमिंटन खेलकूद प्रतियोगिता के परिणाम

सिधुपति महाराजा दाहरसेन की 1356 वीं जयन्ती के अवसर पर सात दिवसीय कार्यक्रम के तहत सूर्यकुमारी व परमल बॉल बैडमिंटन मे 12 टीमो ने लीग मैच में भाग लिया बालिका वर्ग की विजेता मायापुर विद्यालय की छात्रायें रही जिसमं सुमन, बिंदिया, पिंकी रावत, हर्षिता, पूजा रावत , रीना रावत, खुशी रावत एवं उपविजेता क्वीन मैरीस स्पोर्ट्स अकेडमी की सपना कटारिया, नूपुर राठौड, अनिता रावत, सोनू रावत, सपना रावत, शीला रही।

बालक वर्ग में ग्राम मायापुर विजेता रहा जिसमें योगेश, सागर, कमल सिंह, लक्की मडरावलिया, अजय माली, रेहान, अनुराग सिंह रावत व उपविजेता दिल्ली पब्लिक स्कूल तबीजी के छात्र राजवीर सिंह, शौर्य कुमार मिश्रा, छायांक कुमार निर्वाण, मुकुल मनोत, अभिनव सांखला,सत्यम कुमार मिश्रा, प्रज्ञान कुमार तिवारी रहे। प्रतियोगिता में  कोच शुभम वैष्णव, सुप्रिया गौड, एवं निर्णायक में किशोर कुमार मारोठियॉ, श्रीमती मनीषा, श्रीमती गरिमा गोयल सम्मिलित रहे।


वीरांगना लाडीबाई का संक्षिप्त परिचय

वीर सेनानी दाहरसेन की वीर पत्नी लाडीबाई के पाास जब पति के ेबलिदान की हृदयद्रावक सूचना पहुंची तो क्षण भर ठिठक कर उन्होंने अपने अमर पति के पद का अनुसरण करने की निश्चय किया। वे रनिवास से बाहर निकलीं और अपने सेना का नेतृत्व संभाल लिया। सिन्धुसुता के अपूर्व रणकौल से शत्रुओं में हाहाकार मच गया।

परन्तु कतिपय देश द्रोहियों और विश्वासघातियों के अरब सेना से मिल जाने के कारण वीरांगना लाडीबाई को युद्ध के परिणाम का आभास हो गया। अपने सतीत्व एंव पवित्रता की रक्षा के लिए उन्होंने सिन्धी ललनाओं के साथ हंसते-हंसते जौहर की ज्वाला में आत्महुति दे दी। ज्वाला शिखा सी रानी का यह आत्मोसर्ग सिन्धु सांस्कृतिक दृष्टि को उजागर करता है।

सेना का अद्भुत पराक्रम

वीरांगना रानी के बलिदान से प्रेरणा लेकर बची-खुची सिन्धु वाहिनी शत्रु सेना पर टूट पड़ी। एक-एक सैनिक काल की तरह झपट्टे मारता था। शत्रु सेना पर साक्षात मृत्यु बरस रहीं थी। एक ओर मुðी भर देशभक्त सैनिक थे और दूसरी ओर था अरब सैनिकों का विशाल समुद्र। फिर भी आखरी सांस तक वे जूझते रहे और अन्ततः एक-एक कर सभी बलिदानी वीर राष्ट्र के लिए संघर्ष करते मातृभूमि की गोद में सौ गये।

रविवार 24 अगस्त को आयोजित होगा मुख्य कार्यक्रम

सिन्धूपति महाराजा दाहरसेन के 1356वंे जयन्ती की पूर्व संध्या पर रविवार 24 अगस्त को सांय 6 बजे से हरिभाउ उपाध्याय नगर स्थित स्मारक पर देशभक्ति सांस्कृतिक संध्या, पुरस्कार व स्वातंत्रय वीर रूपला कोल्ही बलिदान समारोह का आयोजन किया जायेगा।

सभी कार्यक्रमों में नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण, पर्यटन विभाग, भारतीय सिन्धु सभा, सिन्धु शोध पीठ म.द.स. विश्वविद्यालय, सिन्ध इतिहास साहित्य शोध संस्थान एवं समारोह समिति का सहयोग रहता है।

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