बोर्ड एवं एनसीईआरटी के संयुक्त तत्वावधान में पांच दिवसीय कार्यशाला शुरू
शिक्षकों को दी दक्षता आधारित मूल्यांकन एवं प्रश्न-पत्र निर्माण की जानकारी
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रशासक एवं संभागीय आयुक्त शक्ति सिंह राठौड़ ने कहा कि हॉलिस्टिक प्रोगे्रस कार्ड एचपीसी आज समय की जरूरत है। वर्ष 2047 तक शिक्षित भारत का संकल्प शिक्षा के द्वारा ही संभव है। आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं एनसीईआरटी के परफॉरमेंस असेसमेंट, रिव्यू एंड एनालिसिस ऑफ नॉलेज फॉर होलिस्टिक डवलपमेंट परख के संयुक्त तत्वाधान में सोमवार को पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ प्रशासक एवं संभागीय आयुक्त श्री शक्ति सिंह राठौड़ के मुख्य आतिथ्य में हुआ। यह कार्यशाला 18 से 22 अगस्त तक आयोजित की जाएगी।
बोर्ड प्रशासक शक्ति सिंह राठौड़ ने संबोधन में कहा कि 2047 तक विकसित भारत का सपना शिक्षा के द्वारा ही संभव है और इसमें शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण है वर्तमान में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से क्रांतिकारी बदलाव से वर्चुअल टीचर्स विकसित हो रहे हैं ऎसे में शिक्षकों को अपनी भूमिका बदलने की आवश्यकता है। नवीन शिक्षा नीति के अनुसार मूल्यांकन अब अंको के साथ विद्यार्थियों की समग्र क्षमताओं और जीवन कौशल को भी परिलक्षित करेगा। होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड विद्यार्थियों की शिक्षा यात्रा को सम्पूर्ण रूप में दर्शाता है जिसमें शैक्षणिक उपलब्धियों के साथ जीवन कौशल, अभिरुचि और व्यक्तित्व विकास के पहलुओं को भी महत्व दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षा मानव सभ्यता के इतिहास का अहम कारक रही है और विश्व में बड़े परिवर्तन का सबसे बड़ा कारक भी शिक्षा ही है। उन्होंने इस पहल को एनसीईआरटी एवं बोर्ड की ओर से एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इस प्रशिक्षण के उद्देश्य को गंभीरता से ग्रहण कर प्रभावी रूप से लागू करना आवश्यक है। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि इस अवसर का सदुपयोग करते हुए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के वाहक बनें।
उन्होंने कहा कि इस पांच दिवसीय कार्यशाला से शिक्षकों में समग्र मूल्यांकन की अवधारणा के प्रति गहरी समझ और दक्षता विकसित होगी तथा पूरे प्रदेश में एक समान प्रश्न पत्र टेम्पलेट प्रणाली और समग्र प्रगति पत्र लागू करने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि डार्विन के सिद्धांत के अनुसार प्रकृति में बदलाव को अपनाने की अधिक क्षमता रखने वाले की सफलता की अधिक संभावना रहती है और शिक्षा जगत में भी परिवर्तन को अपनाने की क्षमता ही आगे बढ़ने का आधार है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव होंगे और शिक्षकों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
सचिव कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य माध्यमिक एवं सेकेंडरी स्तर पर होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड की रूपरेखा से शिक्षकों को अवगत कराना और प्रश्न पत्र निर्माण की मानकीकृत टेम्पलेट प्रणाली विकसित करना है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञ प्रशिक्षणार्थियों को समग्र प्रगति पत्र की संरचना और उपयोगिता के बारे में जानकारी देंगे तथा प्रश्न पत्रों को संतुलित, पारदर्शी और योग्यता आधारित बनाने की प्रक्रिया से अवगत कराएंगे। शिक्षकों को समूह गतिविधियों, व्याख्यानों और प्रत्यक्ष अभ्यास के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा और प्राप्त ज्ञान को प्रैक्टिस में उतारते हुए राज्यभर में मास्टर ट्रेनर के रूप में अपनी भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अच्छे प्रश्न पत्रों के निर्माण से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए मूल्यांकन की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा तथा कार्यशाला में इस बात पर भी चर्चा होगी कि नवीन शिक्षा नीति के अनुरूप बोर्ड मूल्यांकन में क्या नवाचार कर सकता है।
इस अवसर पर वित्तीय सलाहकार रश्मि बिस्सा, विशेषाधिकारी नीतू यादव, निदेशक अकादमिक दर्शना शर्मा, सहायक निदेशक उमेश चौरसिया, निदेशक गोपनीय गीता पलासिया, सहायक निदेशक संपदा अजय बंसल, प्रवीण शर्मा, विवेक, सहायक निदेशक उमेश चौरसिया, निदेशक गोपनीय गीता पलासिया, सहायक निदेशक संपदा अजय बंसल सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित रहे।
वरिष्ठ सहायक निदेशक प्रवीण कुमार शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन राजीव चतुर्वेदी द्वारा किया गया।
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