अजयमेरु प्रेस क्लब में दो ग़ज़ल संग्रहों का विमोचन
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। मशहूर शायर पद्मश्री शीन क़ाफ़ निज़ाम ने कहा है कि शब्द वो पनाहगाह हैं जिसमें सन्नाटा सो रहा है। हम अनेक बार सिर्फ "हम्म्म्म" बोल कर अपने भाव व्यक्त करते हैं। लेकिन निर्भर करता है कि हम "हम्म्म्म" किस तरह कह रहे हैं। अलग-अलग भाव में "हम्म्म्म" कह देने भर से भी उस "हम्म्म्म" के अलग अर्थ निकलते हैं। वह अजयमेरु प्रेस क्लब के सभागार में एमडीएस विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा के दो ग़ज़ल संग्रहों "बर्ग-ओ-गुल" व "ज़हर आब-ए-हयात है" के विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि तकरीर कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जानने की प्रक्रिया में रहना ही जानना है। जिसने यह सोच लिया कि उसने सब जान लिया तो उसकी स्थिति "जाना था जापान पहुंच गए चीन वाली होती है"। ग़ज़ल व शायरी भी जानने की प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसमें शायर कुछ जानने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया सदैव दूसरों के बारे में बात करती है, मगर शायर जब शायरी या ग़ज़ल कहता है तो उसमें वो सिर्फ अपने बारे में बात करता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री डॉ चंद्रप्रकाश देवल ने कहा कि एक चिंतक-विचारक एकांत में सोचता है और अपनी बात किसी न किसी विधा में लिख लेता है। मगर लोगों तक उसे पहुंचाने के लिए उसे पुस्तक का स्वरूप देकर आम जन को समर्पित कर देता। उद्देश्य यही है कि भाव समाज तक पहुंच जाएं।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार डॉ रमेश अग्रवाल ने कहा कि गज़लों के लिए तकनीकी तथ्य "रदीफ़, काफिया, मीटर" जरूर बहुत महत्व रखते हैं, मगर उससे बढ़ कर जरूरी है "भाव, जज़्बात और खयाल" ।
डॉ कैलाशचंद्र शर्मा ने अपने विचार रखते हुए गज़लें कहने की अपनी शुरुआत और प्रेरणास्रोत का ज़िक्र किया।
क्लब अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल ने अपने स्वागत उद्बोधन में क्लब की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने डॉ कैलाशचंद्र शर्मा सहित मुख्य अतिथि शीन क़ाफ़ निज़ाम का जीवन परिचय दिया। मंचासीन सभी अतिथियों ने डॉ शर्मा के दोनों ग़ज़ल संग्रहों की "किताबी शक्ल" पर चढ़े आवरण को हटा कर गज़लों को "लोकार्पित" किया।
इससे पूर्व सभी अतिथियों ने माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व पुष्प अर्पण किये। पायल गुप्ता ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। तत्पश्चात अतिथियों का अभिनंदन किया गया। मुख्य अतिथि शीन क़ाफ़ निज़ाम का माल्यार्पण क्लब अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल ने किया । कार्यक्रम का संचालन करते हुए अमित टंडन ने डॉ शर्मा के एक ग़ज़ल संग्रह "बर्ग-ओ-गुल" का परिचय दिया और बताया कि ग़ज़ल के करीब दो सौल वर्षों के सफर के दौरान आये बदलावों को अब 21वीं सदी के विद्वानों ने भी स्वीकार कर लिया है। बंदिशों में कुछ छूट मिलने से गज़लों में नए प्रयोग होने लगे हैं, जिसका लाभ लेते हुए डॉ शर्मा ने भी कुछ नया आज़माया है। उन्होंने अपने रदीफ़-काफिये अंग्रेजी के शब्दों से मिला कर भी बातें कहीं हैं। वहीं वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर होने के नाते पुस्तक का शीर्षक भी बहुत सोच समझ कर "बॉटनिकल" सा रखा है। एक अन्य पुस्तक "ज़हर आब-ए-हयात है " का परिचय सह संचालक पायल गुप्ता ने दिया । इस मौके पर कार्यक्रम में सहयोग के लिए पायल गुप्ता "पहल" व शमा खान को स्मृति चिह्न प्रदान किया गया ।
अंत में क्लब के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह सनकत ने आभार प्रकट किया । कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्ध नागिरक, शिक्षाविद, साहित्यकार व कला-प्रेमी उपस्थित थे।


0 टिप्पणियाँ