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सिन्धु घाटी सभ्यता व संस्कृति की पहचान सिन्धी भाषा को हमेशा करते है समरण : टहलगिरी गोस्वामी

सिन्धु घाटी सभ्यता व संस्कृति की पहचान सिन्धी भाषा को हमेशा करते है समरण : टहलगिरी गोस्वामी

राजावीर साहिब दरबार एवं दुर्गा माता मन्दिर में सिन्धियत दिवस पर प्रसाद वितरण आयोजन 

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। सिन्धु घाटी सभ्यता व संस्कृति की पहचान सिन्धी भाषा को हमेशा स्मरण करते है और यह ऐसी भाषा है जो विश्व के प्रत्येक क्षेत्र में महत्व रखती है। राजावीर साहिब एवं दुर्गा माता मन्दिर परिसर में उपरोक्त विचार महन्त टहलगिरी गोस्वामी ने बताते हुए कहा कि सिन्धी भाषा व लिपि का अत्यन्त प्राचीन महत्व है। दरबार के महंत टहलगिरी गोस्वामी ने अपने प्रवचनो में बताया कि सिन्धी भाषा को 10 अप्रेल 1967 के दिन भारतीय संविधान में मान्यता प्रदान की गई थी।

पूज्य सिन्धी पंचायत अजमेर की संयोजक लत्ता भैरूमल बच्चानी ने अपने संदेश में बताया कि 10 अप्रेल के दिन सिन्धी समाज के कढी चावल के व्यंजनो के रूप में मनाया गया। लत्ता बच्चानी ने सिन्धियत दिवस को धूमधाम से मनाने की जानकारी दी।

पूज्य सिन्धी पंचायत अजमेर के संस्थापक व महासचिव रमेश लालवानी ने बताया कि सोमवार को सिन्धयत दिवस मनाया गया। संयोजक समाज सेवी वरिष्ठ नागरिक ईश्वरी दुलानी के नेतृत्व में प्रसाद के वितरण का आयोजन किया गया। राजेश झूरानी, संत प्रकाश गोस्वामी, रेखा गोस्वामी, कविता डॉ. जयकुमार भारती, ज्योति गोस्वामी आदि ने विचार व्यक्त किये।  

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