अजमेर (अजमेर मुस्कान)। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013 पोश एक्ट के तहत एक दिवसीय कार्यशाला मंगलवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सभागार कक्ष में आयोजित की गई।
महिला अधिकारिता की उप निदेशक मेघा रतन ने बताया कि समाज के बदलते परिवेश में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सरकार बहुत ही संवेदनशील है। महिलाएं कार्य स्थल पर अपने आपको सुरक्षित एवं संरक्षित महसूस करें यह इसकी परिणिति में निर्भर करता है उन्हें कार्य स्थल पर एक स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण मिले। इस अधिनियम के माध्यम से सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों में आन्तरिक समिति का गठन किया जाकर शी बॉक्स पोर्टल पर समितियों को संबंधित संस्थान द्वारा अपडेट किये जाने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि इस अधिनियम की सार्थकता तब की सिद्व होगी जब सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन समितियों का गठन कर पोर्टल पर अपडेट करें। विभाग द्वारा इस अधिनियम के प्रचार-प्रसार के लिये विभागीय पर्यवेक्षकों के माध्यम से ब्लॉंक स्तर तथा उपखण्ड स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन करवाया गया। साथ ही विभिन्न स्तरों पर भी इस विषयक चर्चा की जाती है। इन समितियों के गठन से कार्य स्थल पर महिला उत्पीडन को काफी सीमा तक कम किया जा सकता है।
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे कृष्ण मुरारी जिन्दल सचिव एवं अपर जिला एवं सैशन न्यायाधीश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस अधिनियम के विषय एवं उनके गठन की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार द्वारा महिलाओं के सरंक्षण के क्षेत्र में इस महत्वपूर्ण अधिनियम को कार्यान्वित किया है। कार्य स्थल पर महिलाओं को सुरक्षा प्रदान हो सके। उन्होेंने समिति गठन के तकनीकी कानूनी पहलूओं के विषय में बताते हुए कहा कि देश में महिलाऎं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। वर्तमान में इस प्रकार के अधिनियमों की जागरूकता एवं विभागीय प्रयासों से निश्चित रूप से कार्य स्थल पर महिलाओं पर उत्पीड़न के प्रकरण गत वर्षो में अपेक्षाकृत कम हुये है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को कार्यस्थल पर गरिमापूर्ण वातावरण की आवश्यकता है। समाज के प्रत्येक वर्ग को इसे कार्यान्वित करना चाहिए। इस अधिनियम के व्यापक प्रचार में सरकार के साथ-साथ सामाजिक संगठनों एवं स्वयंसेवी संगठनों को भी आगे आने की आवश्यकता है।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मीना गुप्ता अधिवक्ता उच्च न्यायालय जयपुर ने कहा कि इस अधिनियम के प्रभावीकरण से कार्यस्थल पर महिलाए सुरक्षित वातावरण को महसूस करती है। रूद्रा रेणु संयुक्त निदेशक एवं मुख्य आयोजना अधिकारी ने कहा कि समितियों के गठन में सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों को महत्ती भूमिका का निवर्हन करना चाहिए। नीलम मनोवैज्ञानिक विषय विशेषज्ञ ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि अधिनियम की निर्देशिका के अनुसार कार्य स्थलों पर आने वाले प्रकरणों को हर दृष्टि से निस्तारण किया जाना चाहिए। इसमें मनोवैज्ञानिक सोच को भी परिलक्षित करना चाहिए। साथ ही महिलाएं स्वयं से प्रेम कर अपने बात को पूर्ण सार्थकता एवं सत्य आधारित घटना के अनुसार निर्भकता से प्रकट करनी चाहिए।
कार्यशाला को कोमल यादव निरीक्षक श्रम विभाग, तेजाराम माली समन्वयक मंथन संस्थान कोटड़ी एवं आनंद प्रभारी सी- फॉर, बूटाराम समन्वयक चंचल केयर होम सहित अन्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में इस अधिनियम के क्रियान्वयन में कार्यालय में सहयोग करने वाले कार्मिकों का सम्मान किया। कार्यशाला का संचालन नानूलाल उप निदेशक राजस्थान महिला कल्याण मण्डल ने किया।

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