संत कंवरराम की जयंती केक काटकर डिग्गी चौक मन्दिर में मनाई
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। सूफी संत भगत कंवरराम ने बाल्यकाल से ही साधू संतों की संगति में रहकर उनकी सेवा की और कोहिर चवले को विक्रय करके अपने जीवन का पालन किया। भगत कंवरराम ने संतों महात्माओं को निःशुल्क प्रसाद के रूप में कोहर (चने) का वितरण किया। उपरोक्त विचार भगत कंवरराम की जयंती के अवसर पर केक काटकर मनाये जाने के अवसर पर संयोजक कमलेश उत्तवानी ने व्यक्त किये।
अजयमेरू सेवा समिति के संस्थापक व श्री अजमेर व्यापारिक महासंघ के महासचिव रमेश लालवानी ने बताया कि कंववराम की भक्ति में बहुत अधिक शक्ति के कारण ही दूर दूर के श्रद्धालु उनकी भगत सत्संग प्रवचन सुनने के लिए इनके पास आते थे। अध्यक्ष किशोर विधानी ने बताया कि जन सेवा समिति अजमेर एवं पूज्य सिन्धी पंचायत अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में सिन्ध के तपस्वी गायक भगत संत कंवरराम की जयंती की पूर्व संध्या के अवसर पर रात्रि में डिग्गी चौक स्थित झूलेलाल मन्दिर परिसर में पण्डित विष्णु मुदगल एवं पण्डित महेश मुदगल के नेतृत्व में विशेष पूजन आरती करवाकर एवं केक काटकर भगत कंवरराम साहिब का जयंती मनाई ।
इस अवसर पर कमलेश उत्तवानी, संयोजक रमेश लालवानी, सिन्धी संगीत समिति के कार्यकारी अध्यक्ष व पार्षद रमेश चेलानी, तरूण लालवानी व किशोर विधानी का मोतियो की माला पहनाकर, पूज्य झूलेलाल साहिब की पख्खर दुपटटा पहनाकर और केक खिलाकर मुहं मीठा करवाकर अभिनन्दन किया गया। तरूण लालवानी ने बताया कि भगत कंवरराम का जन्म सिन्ध के जरवर गोठ में 13 अप्रेल 1885 को हुआ था। 1 नवम्बर 1939 को गोली मारकर सख्खर में भगत कंवरराम को शहीद किया गया था। इस अवसर पर समाज सेवी लत्ता भैरूमल बच्चानी, राजेश लालवानी, गोविन्द मनवानी, राजेश झूरानी, डॉ. आत्मप्रकाश उदासी आदि ने भगत कवंरराम की जयंती के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान की।
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