श्वास में है जीवन का बदलाव
अजमेर (अजमेर मुस्कान) । जेईसीसी के सभागार में आयोजित आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के कार्यक्रम में कुचामन से गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति के कार्यकारी अध्यक्ष श्याम सुंदर मंत्री ने भाग लिया और आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक आदित्य काबरा एवं जतिनपुरी के साथ गुरुदेव का अभिनंदन कर तिरंगा एवं गणेश प्रतिमा प्रदान की ।
समिति की जिला अध्यक्ष आभा गांधी ने बताया कि इस अवसर पर रविजी को ब्रह्मलीन संत स्वामी रामसुखदास महाराज की प्रेरणा से निर्मित गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति के बारे में जानकारी दी । आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से गुरुदेव द्वारा श्वास से जीवन में बदलाव को सीखाया गया और साथ ही विज्ञान भैरव नाम के अद्भुत कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने 39 मिनट की श्वास से एक अद्भुत यात्रा की जिसमें लोगों को पांच मिनट से ज्यादा समय का आभास किसी को नहीं हुआ । इस दौरान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर उसकी विशेषता के बारे में विस्तार से बताया गया । हज़ार वर्ष पुराना वह अद्भुत ज्योतिर्लिंग करना भी कठिन था।
प्राचीन हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, सोमनाथ मंदिर कोई साधारण मंदिर नहीं था। यह प्रथम ज्योतिर्लिंग का स्थान था, जो भगवान शिव के बारह पवित्र धामों में सर्वाधिक पूजनीय माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमा ने किया था, और यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने तपस्या की थी।
मंदिर में प्रतिष्ठित शिवलिंग गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देता हुआ मध्य आकाश में स्थिर रहता था और एक शक्तिशाली चुंबकीय बल द्वारा धारण था। यह करोड़ों भक्तों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र था। लेकिन उसकी आध्यात्मिक महत्ता ही उसे आक्रमणकारियों का लक्ष्य भी बना गई । जनवरी 2025 में इस पावन परंपरा के अंतिम संरक्षक, सीताराम शास्त्री, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर से मिलने बेंगलुरु पहुँचे और उन्होंने विधिवत रूप से शिवलिंग के इन पवित्र खंडों को गुरुदेव को समर्पित किया। सहस्राब्दी में पहली बार मूल ज्योतिर्लिंग को आर्ट ऑफ़ लिविंग बेंगलुरु आश्रम में, गुरुदेव की उपस्थिति में, विश्व के समक्ष प्रकट किया गया। हज़ार वर्षों की प्रतीक्षा के बाद भक्तों को उसके दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला ।

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