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सरसों की फसल को कीट एवं रोगों से बचाएं

सरसों की फसल को कीट एवं रोगों से बचाएं

सरसों की फसल को कीट एवं रोगों से बचाएं

अजमेर (अजमेर मुस्कान)। सरसों की फसल को कीटों एवं रोगों से बचाने के लिए किसानों को विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार कार्य करना चाहिए।

ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म अजमेर के उपनिदेशक कृषि (शस्य)  मनोज कुमार शर्मा ने बताया की सरसों फसल में उत्पादकता में बढोत्तरी के लिए फसल को झुलसा, तुलासिता, सफेद रोली जैसे रोगों एवं एफिड़ (माहु या चैंपा) जैसे हानिकारक कीट से बचाना आवश्यक हैं। इन कीट एवं रोगों से बचाव के लिए छिड़काव करते समय पूरे कपड़े, चश्मा, मास्क तथा दस्तानोें का उपयोग अवश्य करें।

कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि सरसों की फसल में सफेद रोली, झुलसा एवं तुलासिता रोगों का प्रकोप दिखाई देने परया बुवाई के 45, 60 तथा 75 दिन बाद कॉपर ऑक्सीक्लोराइडया मैन्कोजेब का छिड़काव करें। प्रथम छिड़काव में दवा की मात्रा 1.4 किलो तथा दुसरे व तीसरे छिड़काव में 2 किलो प्रति हैक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। बुवाई के 45-60 दिन बाद या फसल पर रोग के लक्षण दिखाई देते ही मैटेलेक्जिल 8 प्रतिशत के साथ मैन्कोजेब 64 प्रतिशत डब्ल्यूपी कवकनाशी का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें एवं आवश्यकतानुसार 15 दिन पश्चात छिड़काव को पुनः दोहराएं।

सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. सुरेश चौधरी ने बताया कि सरसों की फसल में हीरकतितली एवं एफिड से बचाव के लिए मैलाथियान 50 ई.सी. सवा लीटर या डायमिथोएट 30 ई.सी. 875 मि.ली. या क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 600 मि.ली. तथा थायोमैथोक्जाम 25 डब्ल्यू.जी. 100-125 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करें एवं आवश्यकतानुसार 10-15 दिन पश्चात छिड़काव को पुनः दोहराएं।

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