किशोर कुमार के भिन्न मूड के गीतों को दी कलाकारों ने अपनी आवाज़
अजयमेरु प्रेस क्लब में 'स्वरांजलि' संपन्न
अजमेर (अजमेर मुस्कान)। सर्वकालिक लोकप्रिय औऱ चहेते पार्श्व गायक किशोर कुमार की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर अजयमेरु प्रेस क्लब के सभागार में उनके गीतों के विभिन्न मूड और आयामों का प्रदर्शन क्लब सदस्यों ने अपने अंदाज़ में किया। मौका था सालाना कार्यक्रम "स्वरांजलि" का। रविवार 12 अक्टोबर को अजयमेरु प्रेस क्लब के सभागार में सदस्यों ने जब किशोर के गीतों के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, तो माहौल एक तरफ तो मस्ती से सराबोर रहा, मगर जब-जब कोई कलाकार किशोर के दर्द भरे नग़मे लेकर मंच पर आया तो किशोर की आवाज़ की गहराई का अंदाज़ा करा गया।
रामगोपाल सोनी ने "पल पल दिल के पास तुम रहती हो" गीत से किशोर के रोमांटिक अंदाज़ से रूबरू कराया तो, महादेव कर्मवानी ने "देखा न हाय रे" गीत से उनकी चंचलता का अहसास कराया। सुरेंद्र वर्मा ने "चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना", सुनाया वहीं विजय कुमार हंसराजानी ने "जीवन के दिन छोटे सही" सुना कर हिंदी सिनेमा के गोल्डन एरा की यादें ताजा करा दीं। सुरेश कुमार श्रीचंदानी ने "हम बंजारों की बात मत पूछो जी" और अरविंद शुक्ला ने "शरबती तेरी आँखों की" गीत से सबको झूमने पर मजबूर कर दिया। शरद कुमार शर्मा ने "समझौता ग़मों से कर लो" सुना कर जीवन दर्शन प्रस्तुत किया तो गणेश चौधरी ने "आते जाते ख़ूबसूरत आवारा सड़कों पे" सुना कर प्रेम का एक नया रंग प्रस्तुत किया। राजकुमार पारीक ने किशोर के 80 के दशक की यादें ताजा करते हुए "लहरों की तरह यादें दिल को तरसाती हैं" गीत की भावनातमक प्रस्तुति दी, वहीं सांस्कृतिक आयोजन समिति संयोजक फरहाद सागर ने रोमांटिक डुएट "आपकी आँखों में कुछ महके हुए से ख्वाब हैं" गीत से प्रेम के रंग बिखेरे। एक बार फिर 80 के दशक की यादें ताजा करते हुए प्रदीप गुप्ता ने 'लावारिस' फ़िल्म के "काहे पैसे पे इतना ग़ुरूर करे है" सुना कर रंग जमाया तो सूर्यप्रकाश गांधी ने प्रेम आसक्ति में डूबे किशोर के गीत "रूप तेरा मस्ताना" को अपने ही अंदाज़ में गा कर सबका दिल जीत लिया। जेएलएन मेडिकल कॉलेज से डॉ विकास सक्सेना व उनकी पत्नी श्रीमती मनीषा ने बेहद रोमांटिक सांग "ये रातें ये मौसम नदी का किनारा" सुना कर माहौल तरंगित कर दिया। माहौल बदलते हुए डॉ रमेश अग्रवाल ने किशोर कुमार के उस मूड का प्रदर्शन किया जिसमें किशोर एक मसखरे कलाकार से इतर बहुत संजीदा और गहरे इंसान प्रतीत होते हैं। गीत के बोल थे "पंथी हूँ मैं उस पथ का"। इसके बाद अमित टण्डन ने अपनी छवि के अनुरूप चिर परिचित अंदाज़ में "देश प्रेमी" फ़िल्म का मस्ती भरा गीत "खातून की खिदमत में सलाम अपुन का" का गा कर कार्यक्रम को किशोरमयी बना दिया और हॉल तालियों से गूंज उठा। इसी मस्ती को बरकरार रखते हुए प्रताप सिंह सनकत ने जब "जय गोविन्दम जय गोपालम" गाया तो हर श्रोता के पांव थिरक उठे। कार्यक्रम का समापन गुरजिंदर सिंह विर्दी द्वारा प्रस्तुत किशोर कुमार के गीतों की मेडली से हुआ, जिसमें उन्होंने कल्याणजी आनंदजी द्वारा संगीतबद्ध अलग अलग मूड के 5 गीतों की माला पिरो के मधुरता से प्रस्तुत की।
इससे पूर्व डॉ रमेश अग्रवाल, एसपी गांधी, महा सचिव अरविंद मोहन शर्मा, कोषाध्यक्ष सत्यनारायण जाला, बालमुकुंद चौरसिया आदि ने किशोर कुमार की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा दर्शाई। डॉ अग्रवाल ने किशोर कुमार पर अपने विचार रखे। मंच संचालन करते हुए अमित टंडन ने किशोर कुमार से जुड़े अनेक रोचक किस्से और उनकी जीवनी से जुड़ी बातें बताईं, तो प्रताप सिंह सनकत ने अपने मजाकिया अंदाज से सबको गुदगुदाया। साउंड सिस्टम की कमान फरहाद सागर से संभाली और कराओके ट्रेक का संयोजन गुरजिंदर सिंह विर्दी ने किया। अंत में सूर्यप्रकाश गांधी ने आभार व्यक्त किया।
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